यहाँ वहाँ जहाँ भी जाऊंगा
खुद को भूल नहीं पाउँगा
कितना सच्चा कितना झूठा हूँ
कहने से डरता हूँ
जीवन की कसौटियों पर खुद को परखना आसान नहीं
यह जीवन सिर्फ सुबह शाम नहीं
मंजर बदल जाते हैं कुछ पाने की चाह में
हीरे मिल जाते हैं कोयले की खदान में
मिटटी में मिल जाता है गुरूर
तभी होता है निर्मल बाबा की कृपा का नूर